एकमा के सरकारी स्कूलों में पहली बार वीर बाल दिवस का हुआ आयोजन

चेतना सत्र में बच्चों को बताया गया जोरावर सिंह व फतेह सिंह सहित चार साहिबजादों की शहादत का इतिहास

रिपोर्ट: अम्बालिका न्यूज़ ब्यूरो,
एकमा (सारण)। शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों के निर्देशानुसार मंगलवार को एकमा प्रखंड व नगर पंचायत क्षेत्र में स्थित सभी सरकारी प्रारंभिक, माध्यमिक व उच्च विद्यालयों में वीर बाल दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से छात्राओं को वीर बालकों के त्याग व बलिदान की गाथा से शिक्षकों के द्वारा अवगत कराया गया।
इसी क्रम में उत्क्रमित मध्य विद्यालय टेसुआर, उत्क्रमित मध्य विद्यालय गौसपुर, उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय गौसपुर, कन्या उच्च विद्यालय एकमा, मध्य विद्यालय हंसराजपुर, प्राथमिक विद्यालय पांडेय छपरा, कन्या प्राथमिक विद्यालय आमडाढ़ी-कर्णपुरा सहित विभिन्न प्रारंभिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के चेतना सत्र में विद्यार्थियों को वीर बाल दिवस के आयोजन की महत्ता पर प्रकाश डाला गया।
इस अवसर पर उत्क्रमित मध्य विद्यालय टेसुआर के शिक्षक डॉ शशि भूषण शाही ने चेतना सत्र में बच्चों को बताते हुए कहा कि हमारे देश की सभ्यता व संस्कृति को बरकरार रखने में सिख धर्म का काफी योगदान रहा है। वहीं सिख धर्म के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह, उनके साहिबजादे जोरावर सिंह व फतेह सिंह की शहादत और माता गुजरी के योगदान को कभी बुलाया नहीं जा सकता है।
डॉ शाही ने छात्र-छात्राओं को सिख धर्म की स्थापना व योगदान के साथ ही समाज के लिए उनके त्याग और बलिदान पर विस्तृत जानकारी देते हुए वीर बाल दिवस के आयोजन से छात्र-छात्राओं को प्रेरणा लेने की सलाह दी।
उधर उत्क्रमित मध्य एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय गौसपुर में प्रधानाध्यापक मोहम्मद तौकीर अंसारी, मंजीत कुमार तिवारी, शिक्षिका अनीता पांडेय, दिग्विजय गुप्ता, ओमप्रकाश यादव, कमल कुमार सिंह, योगेश कुमार सिंह, विभा कुमारी, किसलय कुमार, विकास कुमार, रंजीत कुमार, जुली कुमारी आदि ने छात्र-छात्राओं को वीर बाल दिवस के आयोजन से संबंधित जानकारी दिए।
इस अवसर पर सिख धर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंह उनके साहिबजादे सहित माता गुजरी को श्रद्धापूर्वक याद किया गया।
शिक्षक कमल कुमार सिंह ने कहा कि वीर बाल दिवस खालसा के चार साहिबजादों के बलिदान को सम्मान देने के लिए मनाए जाने की शुरुआत की गई है। सिख समाज के अंतिम गुरु गोबिंद सिंह के छोटे बच्चों ने अपने आस्था की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। यह दिवस उनकी कहानियों को याद करने व जानने का भी दिन है।

गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व पर पीएम मोदी ने की थी वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा:

बीते 9 जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि हर वर्ष 26 दिसंबर को सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों जोरावर सिंह व फतेह सिंह की शहादत को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इसके बाद बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा जारी पत्र के अनुपालन में पहली बार स्कूलों में वीर बाल दिवस मनाए जाने की शुरुआत हुई है।

जानिए वीर बाल दिवस के आयोजन का इतिहास:

ऐतिहासिक तथ्यों पर नजर डालें तो मुगल शासनकाल के दौरान पंजाब में सिखों के गुरु गोबिंद सिंह के चार बेटे थे। उन्हें चार साहिबजादे खालसा के नाम से भी जाना जाता था। सन् 1699 में गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की। बताते हैं कि धार्मिक उत्पीड़न से सिख समुदाय के लोगों की रक्षा करने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी। गुरु गोबिंद सिंह के चार बेटे क्रमशः अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह व फतेह सिंह, सभी खालसा पंथ के हिस्सा थे। उन चारों को 19 वर्ष की आयु से पहले मुगल सेना द्वारा मार डाला गया था। उनकी शहादत को उचित सम्मान दिलाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा और बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर पहली बार सरकारी स्कूलों में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया गया है।