पधारो रघुनंदन श्री राम।
अवध पति रघुनंदन श्री राम।।
सज गईं अवध की सारी गलियां
रस्ता देख रही हैं अखियां,
कब आएंगे रघुकुल भूषण
कमलनयन सुख धाम।
पधारो रघुनंदन श्री राम।।
अवध पति रघुनंदन श्री राम।।
सदियों का संघर्ष फलित है
और प्रतीक्षा वर्षों की,
उदित हुआ सौभाग्य हमारा
धन्य हुई भू भारत की।
सिया लखन और पवन तनय संग
आ जाओ निज धाम।
पधारो रघुनंदन श्री राम।।
अवध पति रघुनंदन श्री राम।।
दीप जलाएं हैं स्वागत में
वंदनवार सजाएं हैं,
तेरे स्वागत को हे राघव
आंगन चौक पुराएं हैं।
हिय की आस पुराओ
आओ सिय के संग श्रीराम।
पधारो रघुनंदन श्री राम।।
अवध पति रघुनंदन श्री राम।।
आओगे तो गंगाजल से
तेरे चरण पखारेंगें,
धूप दीप अक्षत रोली से
आरती तेरी उतारेंगें।
तुलसी दल नैवेद्य भोग को
आना संग वीर हनुमान।
पधारो रघुनंदन श्री राम।।
अवध पति रघुनंदन श्री राम।।
सेवक तेरे है अज्ञानी
पूजा भाव भक्ति से दूर,
काम क्रोध मद लोभ घृणा और
अहंकार में रहते चूर।
हिय के द्वेष मिटाकर देना
सहज मार्ग का ज्ञान।
पधारो रघुनंदन श्री राम।।
अवध पति रघुनंदन श्री राम।।
पवनपुत्र सी भक्ति देने
शबरी सा विश्वास अटल,
लखन भरत सी निष्ठा देने
और केवट सा ह्रदय सरल।
मर्यादित जीवन का हमको
देने शुभ वरदान।
पधारो रघुनंदन श्री राम।।
अवध पति रघुनंदन श्री राम।।
जय श्री राम 🙏
रचना – सुभद्रा कुमारी ‘सुभ’
प्रखंड शिक्षिका मशरख (जनता मध्य विद्यालय, गोढ़ना)
ग्राम – रामपुर अटौली, सारण, बिहार