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खेत ठाकुर का…बैल ठाकुर का, वो कविता जिसे मनोज झा ने राज्यसभा में पढ़ी; RJD वाले ऐसा बयान जान-बूझकर दिलवाते हैं ताकि समाज में विद्वेष और ध्रुवीकरण बना रहे, जिस पर राजनीतिक रोटी सेंकी जा सके: प्रशांत किशोर

खेत ठाकुर का…बैल ठाकुर का, वो कविता जिसे मनोज झा ने राज्यसभा में पढ़ी; RJD वाले ऐसा बयान जान-बूझकर दिलवाते हैं, ताकि समाज में विद्वेष और ध्रुवीकरण बना रहे, जिस पर राजनीतिक रोटी सेंकी जा सके: प्रशांत किशोर

रिपोर्ट अम्बालिका न्यूज़ ब्यूरो,

मुजफ्फरपुर: RJD नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा के हाल ही में महिला आरक्षण बिल पर बोलते हुए उन्होंने एक ऐसी कविता सुना दी जिस पर बवाल हो गया। समाज में विद्वेष फैलाने वाले इस तरह के बयानों को लेकर मुखर रहने वाले जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि ये कैसे संभव है कि उनका मंत्री बयान दे रहा है और तेजस्वी यादव को पता नहीं है।

मुजफ्फरपुर की पदयात्रा में प्रशांत किशोर

आपको लगता है कि RJD में कोई मंत्री बार-बार बयान दे देगा और पता नहीं चलेगा। सुधाकर सिंह ने बयान दिया, तो कितने दिन मंत्रालय में रहे। वो जगदानंद सिंह के लड़के हैं, इसके बावजूद उनको पद छोड़ना पड़ा। ये दलगत मामला है, ये दल वाले ही उनसे कहलवाते हैं और जहां तक उस विषय को कहना चाहिए कि नहीं तो कोई भी आदमी बता सकता है कि भाई आप उल-जुलूल अनर्गल बात पार्टी के कहने पर, पार्टी के नेताओं के कहने पर कहे। ये सब पार्टी वाले कराते हैं कि आप बयान दीजिए कि समाज में विद्वेष बढ़े, आपस में मारपीट हो, आपस में झगड़ा-लड़ाई हो, वाद-विवाद हो, पत्रकार भी उसी में पड़ जाए। मूल विषय जो है, पढ़ाई का, विकास का, रोजगार का, वो चला जाए हाशिए पर। तो अपने नेताओं को, अपने मंत्रियों को भी सलाह देनी चाहिए, सबसे पहले खुद मानना चाहिए, फिर भी उन पर कार्रवाई नहीं होती है। खुद ही ये लोग बयान दिलवाते हैं ताकि समाज में आपस में पोलराइजेशन हो, हिन्दू-मुस्लिम हो, अगड़ा-पिछड़ा हो और उसी पर ये लोग रोटी सेंकते हैं, राजनीति करते हैं। अब बात कर रहे हैं सकारात्मक राजनीति की, उनके लिए अच्छा है भगवान उनको सद्बुद्धि दे। क्योंकि इन लोगों ने जीवन में कभी सकारात्मक राजनीति तो की नहीं है, न इनके बाबू जी ने किया, न इनकी माता जी ने किया और न इन्होंने खुद की। अब नसीहत दे रहे हैं तो मीडिया को खुशी होनी चाहिए कि भाई चलो अब लालू के लड़के सकारात्मक राजनीति करने की बात कर रहे हैं। कर तो सकते नहीं है, लेकिन बात तो कर रहे हैं इसलिए मैं उनका स्वागत करता हूं। नए लड़के हैं अगर इनके समझ में आए कि राजनीति सकारात्मक होनी चाहिए तो ये अच्छी बात है।

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