
कलयुग में भगवत नाम स्मरण ही सबसे बड़ी पूजा: श्रीकृष्ण दास
रिपोर्ट: वीरेश सिंह, अम्बालिका न्यूज,
मांझी (सारण): जीवनकाल के अंतिम क्षण में मनुष्य यदि एक बार भी भगवान का नाम स्मरण अथवा उच्चारण कर लें तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती हैं। कलियुग में भगवत नाम स्मरण ही सबसे बड़ी पूजा है। नाम जप से ही मानव का कल्याण सम्भव है। यह बातें वृंदावन से पधारे प्रवाचक श्रीकृष्ण दास जी महाराज ने मांझी के चंदउपुर गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में दूसरे दिन की कथा में उपस्थित श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए कहीं।

उन्होंने कहा कि जो मनुष्य अपने जीवन काल में पाप कर्म में लिप्त रहते हैं, उन्हें मृत्युपरांत अपने प्रतीक शरीर के द्वारा इसी धरती पर मौजूद विभिन्न नामों से प्रचलित नरक की भयंकर यातना झेलनी पड़ती है। शुकदेव जी महाराज तथा राजा परीक्षित के बीच पंचम स्कंध में हुए संवाद की उन्होंने विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने वर्तमान परिवेश में श्रीमद्भागवत कथा की प्रासंगिकता को मानव समुदाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण बतलाया। कड़ाके की ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में श्रोताओं ने श्रीमद्भागवत कथा का रसास्वादन किया। कथा का संचालन प्रो वरूण सिंह ने किया।
Edited by: K. K. Singh Sengar